Categories: मुक्तक
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आह्ववाहन
देश वासियों जागो, जागो जागो जागो, इतने बलिदानों से आजादी जो पाई, मूल्य उसका पहचानो, जागो,जागो,जागो। बीत गया जो काल कठिन था,। मुश्किल था रहना…
समय जगा रहा हैं
‘समय जगा रहा है’ कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं, संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं। जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं, वो…
जागो हे भरतवंशी
जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…
सात चिड़ियों का बसेरा
एक बाग में था पेड़ हरियाणा विशालकाय, सुंदर, मतवाला बैठा हो जैसे साधना में तपस्वी कोई सम्पूर्ण, समृद विशाल हृदय वाला. जागृत हो जाता होते…
मै ये नहीं कहती हूँ
एक पत्नी अपने पति से क्या कहती है कविता को आखिर तक पढ़े…… सुनो……! मै ये नहीं कहती हूँ, आपसे कि आप मेरे लिए चाँद…
प्रातः काल की बेला का बहुत ही सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया है कवि पीयूष जी ने अपनी कविता में। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत खूब