सूझ-बूझ

हड़बड़ी में कभी-कभी,
हो जाती है गड़बड़ी।
इसलिए जो भी करना है
सोच समझ कर करना है।
कोई हमें डराए तो,
नहीं किसी से डरना है।
सूझ-बूझ से काम करें हम,
आए रौशनी मिटेंगे सारे तम।।
____✍️गीता

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Responses

  1. बहुत शानदार व उच्चस्तरीय रचना। लेखनी बहुत शानदार गति से आगे बढ़ती है आपकी। सतत प्रवाह है इसमें।

    1. इतनी सुन्दर,प्रेरक और कविता लिखने वाले को उत्साह प्रदान करती हुई बहुत ही उच्च स्तरीय समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी।

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