स्कूल के दिन
बहुत याद आते हैं वो दिन
जब हम भी स्कूल जाते थे
पीठ पर बस्ता, गले में बोतल
खेलते- कूदते पहुँचते थे।
कक्षा की वो प्रिय अध्यापिका
प्यार से हमको पढ़ाती थीं
जब भी कुछ न आये समझ तो
प्यार से पुनः दोहराती थीं।
लंच से पहले , लंच कर लेना
कैंटीन से फिर पेटीज़ लेना
साथ में मिल बाँट के खाना
रोज की आदत हमारी थी।
एक दूजे का हाथ थामकर
छुट्टी में फिर दौड़ लगाना
कदम से कदम मिलाकर रखना
हम दोस्तों की आदत थी।
waah
Thanku sir
Nyc
Kya baat h
Kya baat
Very nyc
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Waah
Very nice
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Waah
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