हिम की बरसात हुई
हिम की बरसात हुई,
कहीं तो बीती रात हुई।
गिरी नर्म-नर्म रुई सी,
चाॅंदी सी बिछ गयी राहों में
रूचिर रुपहली रात हुई
बही सर्द-सर्द हवाएँ,
तन-मन ठिठुरता ही जाए।
बादल घुमड़ रहे गगन पर,
ठंड में ऐसी बरसात हुई।
कहाँ से इतना जल आया यह,
बहुत ही ठंडी रात हुई॥
_____✍गीता
कहाँ से इतना जल आया यह,
बहुत ही ठंडी रात हुई॥
_____✍गीता
Thanks
वाह बहुत खूब बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
अति सुंदर
बहुत आभार सतीश जी