है ब्रह्मचर्य व्रत सभी व्रतों में महान

है ब्रह्मचर्य व्रत सभी व्रतों में महान ।
यह है शक्ति का आधार व गति का मूलाधार ।
इससे होता नर शारीरिक व मानसिक विकास ।
अतः तुम कर लो बंदे ब्रह्मचर्य व्रत महान ।

जैसे भोगी इन्द्रियवश मानव-जीवन गँवाता है,
और नारायण से मुख मोड़ता है ।
ऐसे-ही-जन जग में बार-बार जन्म लेता है,
और ईश्वर साक्षात्कार को तरसता है ।

ब्रह्म का आचरण ब्रह्मचर्य सीखलाता हमें ।
इन्द्रिय निग्रह की विधा सीखलाती ब्रह्मचर्य ।
समस्त कामनाओं का परित्याग है ब्रह्मचर्य ।
महाव्रत में सर्वश्रेष्ठ स्थान है ब्रह्मचर्य का ।

वीर्यसंचय का अथाह सागर व्रत है ब्रह्मचर्य ।
जैसे गगन में सर्वोत्तम स्थान है ध्रूव का,
वैसे ही जग में ब्रह्मचर्य सूर्य समान है ।
करे जो नर नित्य-निष्ठा से ब्रह्मचर्य व्रत ।
वैसे ही नर देते है जगत में दिव्यतथ्य ।।
कवि विकास कुमार

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