होली खेले रघुवीर बरसाने में

होली खेले रघुवीर बरसाने में
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होली खेले मोसे रघुवीर बरसाने में,

जाऊँ मैं जाऊँ कित ओर बरसाने में।

रंग, अबीर हवा में उड़ायो,

रंग मल मल के मुझे सतायो,

हाथ पकड़ दिया मोड़ बरसाने में।

गुपचुप आकर रंग लगायो,

पिचकारी से मुझे भिगायो,

डाले गलबहियां चितचोर बरसाने में।

अच्छी लागे हँसी ठिठोली,

मीठी लागे तोरी बोली,

काहे करे मोसे अठखेली लड़ईया में।

रंग दिया काहे अपने रंग में,

गिर -गिर संभलू में प्रेम की भंग में,

मुझ पर रहा ना मेरा जोर रंगरेज़वा रे।

निर्लज्ज तोहे लाज ना आई,

लोग करेंगे मोरी हँसाई,

मारूंगी तोहे आज लट्ठ बरसाने में।

आजा खेलूंगी होली तोसे बरसाने में,

आजा खेलूंगी होली तोसे बरसाने में।

निमिषा सिंघल

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