Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Ravikant Raut
A writer , A Poet , A Blogger , Real Life and Macro Photographer , Hobby-Chef , and Abstract Thinker
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Is it possible?? BTW nice poem
Thanks
बहुत भावपूर्ण राऊत साहब।माँ और ईश्वर में बस इतना ही अंतर है——-ईश्वर एक विश्वास है और माँ—– साक्षात् ।
वाह