Chahta dil sada se mujhe
चाहता दिल सदा से मुझे,
इन पर्वतों की श्रृंखलाओं में,
इन नदियों की चंचलता में,
इन झडनो की घुंघरू में,
इन देवदारो की घनेरी छाव मे,
इन वादियों मैं कहीं खो जाऊं,
आती है मिट्टी की खुशबू,
जो मिट्टी है अपने वतन की,
इन्हें छोड़ न जाऊं कहीं,
मिलेगा न कहीं और चैन मुझे,
जो खुशबू है अपने वतन की,
यहां लोग हैं सारे अपने,
वो हैं हमारे भाई बंधु,
क्यों करें हम सेवा दूसरे वतन की,
क्यों न करें हम सेवा अपने वतन की |
वाह
Thanks
बहुत सुन्दर रचना।
Thanks
Kya khub
Thanks
Nice
Thanks
सुन्दर रचना
Thanks
Good
Thanks
वाह
Thanks
👏👏