पहचान

अगर मैं होती गरीब किसान की उपजाऊ भूमि
बंजर होने पर जरूर दुत्कार दी जाती

मैं होती कुमार के चाक मिट्टी
उसी के दिए आकार में ढल जाती

मैं होती माली के बाग का फूल
मुरझाने के लिए गुलदस्ते में छोड़ दी जाती

मैं होती किसी महल की राजकुमारी
विवाह के बाद छोड़ उसे मै आती

कहने को तो होती मै लक्ष्मी घर की
पर अलमारी के लॉकर की चाबी बनकर रह जाती

चाहे चिल्लाऊं मै खूब जोर से
फिर भी मन की व्यथा ना कह पाती

चाहे मैं होती किसी जज का हथोड़ा
फिर भी मेरी पहचान ना होती

बनाती फिर भी रसोई में रोटी
सोचती काश ! कोई मेरी भी कोई पहचान होती….

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close