मेरे बस की बात नहीं
तुम्हें भुला पाना, मेरे बस की बात नहीं,
तुम्हें जिंदगी में ला पाना, मेरे बस की बात नहीं।
तुम्हें बस देख कर ही जी लेंगे,
तुम्हें बगैर देखे रह पाना, मेरे बस की बात नहीं।
तुम ही पहली और आखरी मोहब्बत,
पहली मोहब्बत भुला पाना, मेरे बस की बात नहीं।
अगर तुम ना हुई कभी मेरी तो,
किसी और को अपना पाना, मेरे बस की बात नहीं।
दुनिया से दिल भर चुका मेरा,
अब और जिंदा रह पाना, मेरे बस की बात नहीं।
देवेश साखरे ‘देव’
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Welcome
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सुन्दर रचना
धन्यवाद
Best
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