अधूरे हैं

तुम्हारे होंठों की सरगम बिन
मेरे गीत अधूरे हैं।
मेरी नजरों से रहते दूर तुम
मेरे प्रीत अधूरे हैं।
तुम्हें खोकर सारी दुनिया जीतूँ
मेरे जीत अधूरे हैं।
‘विनयचंद ‘ वफा के बिन
मनमीत अधूरे हैं।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close