आँखों का नूर

कल उस बात को एक साल हो गया
वख्त नाराज़ था मुझसे
न जाने कैसे मेहरबान हो गया
मेरी धड़कन में आ बसा तू
ये कैसा कमाल हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

रोज़ दुआ भी पढ़ी और
आदतें भी बदली
सिर्फ तेरी सलामती की चाहत रखना
मेरा एक एकलौता काम हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

सिर्फ तू ही मेरे साथ रहे
तुझे किसी की नज़र न लगे
सारे रिश्ते एक तरफ सिर्फ
तुझसे मिला रिश्ता मेरी पहचान हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

जब तुझे पहली बार देखा
दिल ज़ोरों से धड़का
उस पल में ख़ुशी भी थी
और चिंता भी, यूं लगा
जीवन में पहली बार मैं ज़िम्मेदार हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

तेरे मुझमे होने की बेचैनियाँ मैंने महसूस की
तेरी करवटों से रातें भी मेरी कुछ तंग थी
फिर भी तेरे इंतजार को
उँगलियों पे गिनना खास हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

तू चाँद होता या चांदनी उस चाँद की
तेरे नैन नक्श सोचा करती थी बनी बावरी
तू मेरे कर्मों का सिला बन
उस खुदा का उपहार हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

तेरी ज़िन्दगी की ढाल बनूँ
तेरे हर कदम पर नज़र रखूँ
तू गिरे कही तो संभाल लूँ
पर ये ख्याल मेरा, ख्गाब सा हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

अब तक तू मेरी गोद में बाहें फैलाये
मुस्कुरा रहा होता ,तेरी हर ख्वाहिश पूरी करने को
मैंने सारा घर सर उठा रखा होता
तू आँखों का नूर बन,आँखों से दूर हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

वख्त आज भी वही रुका सा है
तू हर तरफ आज भी एक मरीचिका सा है
कुछ धुंधला सा था आँखों के सामने अभी अभी
फिर कहीं ओझल हो गया
कल उस बात को एक साल हो गया

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

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