हिन्दी गजल- हम सहने लगे |

हिन्दी गजल- हम सहने लगे |
तेरे बेगैर तन्हा ही हम रहने लगे |
याद तेरी अश्क आंखो बहने लगे |
हुआ रुसवा शहर कोई बात नहीं |
लेके तेरा नाम आशिक कहने लगे |
रुसवाइयों से कभी मै डरता नहीं |
बिछड़ न जाये बात हम डरने लगे|
मै आशिक तेरा कबुल करता हूँ मै |
आप साथ छोड़ मगर क्यो चलने लगे |
साथ छोड़ दोगे कभी मैंने सोचा नहीं |
लेके तेरा नाम पल पल यूं मरने लगे |
सहने को सह लूँ हर जुल्म मै जमाने |
तेरे इश्क हर सितम हम सहने लगे |
लिखे जो कलाम ख्याल मे तेरे हम |
समझ तुझे बार बार उसे पढ़ने लगे |
लौट आएगा तू मुझे यकीन है बहुत |
रोज रातो ख्वाब नए खूब सजने लगे |

श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,

मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

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