मन।
मन।
क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन?
तुझे काया मिली
इतनी माया मिली,
तेरी राहों में बिखरा है मधुवन।
क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन।
इतना सुन्दर- सा घर
यानों का सफर,
तू भिखारी से राजा गया बन।
क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन।
तुझे सपने मिले
संग अपने मिले,
तेरी आभा से चमके हैं कण-कण।
क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन।
पदोन्नति मिली
लाल बत्ती मिली,
आज लाखों करें पुष्प अर्पण।
क्यों घुट – घुट के जीता है रे मन।
अनिल मिश्र प्रहरी।
Good
Thanks.
सुन्दर
धन्यवाद।
Good
Thanks.
Wah👏👏👏
Thanks.
Good
Thanks.
Good
Thanks.
वेलकम