भटकता बचपन

रोटी के निवाले के लिए बचपन अपना खो दिया,
भूख की तड़प से मासूम बेचारा रो दिया।
दिन रात एक करके लगा है देखो पैसा कमाने,
अपने बचपन की सारी खुशियां हंसकर लुटा दिया।।

✍ महेश गुप्ता जौनपुरी

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