Categories: मुक्तक
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
इंसा, इंसा को क्या देता है…….
इंसा, इंसा को क्या देता है जख्म और सिर्फ दगा देता है पिला कर घूँट धोके का सबको ये बड़े आराम से सबको सुला देता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
विनती
मिले काँटे या मुझको फूल। पर हो मेरे अनुकूल।। इतना सुख न देना स्वामी जो मुझ में अभिमान जगाए। इतना दुख न देना मालिक जो…
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