Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मित्र कौन !
सच्चा मित्र —— होता है : संघरित्र ! आपसे जुड़कर—आपका विषाद बाँटता है आपकी ऊष्मा आत्मसात् करता है ……….. आपको ऊर्जा से भरता है.…
दर्पण
आज भी नहाते हैं लोग सुबह उठकर फिर दर्पण के सम्मुख जाते हैं दर्पण मे देखकर चेहरा अपना मुह बनाते हैं, रोते हैं, चिल्लाते हैं…
प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित करके
***†**†*ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित करके उजियारा कर दें हर और रोशन हो जाएं सब राहें ऐसा फैला दें आलोक। आतंकवाद बढ़ गया धरा पर । आतंकित…
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