फिर आएँगे
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे,
महामारी में बचे रहे तो.. फिर आएँगे l
मजदूर हूँ, हुनर हाथों में और दिलों में सपने लिए आएँंगे
इंतजार था बंद खुलने का,
अपनों से मिलने का,
चिंता मत करो साहब!
महामारी बीत जाने दो,
जिंदा रहे तो फिर आएँगे l
कह चले अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
अब तो रेल गाड़ी की रफ़्तार कम सी लगती है ,
यादों की रफ़्तार के आगे..
चैन तो तभी मिलेगा ,
जब अपनों से मिल जाएँगे l
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
प्रवासी है साहब!
यहाँ सब मतलब से बात करते हैंl
प्यार और किसी की देखभाल कहाँ पाएँगे,
ऐसे में तो सिर्फ अपने ही हैं
जो गले लगाएँगे l
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
अति सुंदर चित्रण👌👌
सुन्दर
Ye aayenge me Ching kaisa?kaon sa band khulane ka?alp viraam kahan gaya?
hindi me samjhaiye kya likh h mahodya….
band se yahan tatpray lockdown se hai.
वाह
🙏
nice
🙏
👏👏