आँखों से दरिया

प्रेम से सराबोर होने दो हमको,
आँखों से दरिया छलक जाने दो ना।

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. इस कविता में कवित्री अपने प्रेम की पराकाष्ठा को दिखाती हुई नजर आ रही है bahut hi umda shabdon ka prayog Kiya gaya hai

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