Categories: मुक्तक
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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दोस्ती से ज्यादा
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आज के मुहब्बत का यही परिणाम है। रचना अच्छी है।
Thanks sir
मशरुफ शब्द भाव के अनुकूल नहीं लगता। इश्क शब्द हीं अपनापन का बोध कराता है। अपने हो या फिर पराए सभी खुदगर्जी में दिल तोड़ देते हैं। बारिश में साथ कौन भिंगेगा। साथ तो छुटेगी हीं।
सुन्दर भाव और प्रयास।।
Thanks sir ji
Touching lines
👌👌
सुन्दर पंक्तियाँ