विपरीत

भरी दोपहरी की धूप में
जिस तरह सूखने की बजाय
गीला हो जाता है पसीने से
बदन,
ठीक उसी तरह
भरी बरसात में
हरा-भरा न होकर
सुख गया है मन।

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Responses

    1. भरी दोपहरी की धूप में
      जिस तरह सूखने की बजाय
      गीला हो जाता है पसीने से
      बदन,
      ठीक उसी तरह
      भरी बरसात में
      हरा-भरा न होकर
      सूख गया है मन।

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