Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Antariksha Saha
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I am from Kolkata.Land of culture and heritage.These are my creations.Please post your comment if you like it
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
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घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
दोस्त
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ज़मीर
यार दफन करना मुझे आग तोह तेरे पास भी नहीं होता तोह आज यह नौबत ना आती यार फूलों से सजाना नहीं कुछ तोह अपने…
बहुत ही उम्दा
धन्यवाद
Sunder
वाह वाह