Categories: शेर-ओ-शायरी
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सुन्दर अभिव्यक्ति!
देवी का दर्जा देके छल उससे होता आया है
आसमां पे बिठा के, अस्तित्व पपे भी बन आया है
बाहर तो क्या घर में भी
वह मान कहाँ पाया है
जिसकी वह अधिकारिणी
वह भी उससे छिनता आया है ।
बहुत सुंदर
Sunder
सटीक अभिव्यक्ति