नींद हरजाई..!!
एक सवाल पूंछना है तुमसे
एक बार आकर तो मिलो
सब कुछ तो ठीक हो गया है
तुम्हारे जाने के बाद…
पर नींद कहाँ गुम हो गई
यही पूंछना है मुझे
रातें चाँद, तारे देखकर
और नगमें
सुनकर बिता देती हूँ
ख्वाबों को छत पर सुला
देती हूँ…
खिड़कियां खोल के रखती हूँ
शाम से अपनी
कल्पनाओं से भी आँख चुरा लेती हूँ…
बिस्तर रेशम का बिछा रख्खा है
माँ को भी बाहर सुला
रख्खा है
शोर ना करना जरा भी
मेरे कमरे के आस-पास
सख्त ये नियम बना रख्खा है…
निहारती रहती हूँ
मैं चारों तरफ
आयेगी नींद तो स्वागत में
बंदकर लूंगी पलकें
जाने नहीं दूंगी उसे
सुबह तलक…
रोज़ करती हूँ मैं ऐसा ही
पर ना आती है नींद हरजाई
पहले तेरे खयालों में ना सो
पाती थी
अब सोने ना दे तेरी
रुसवाई…
बहुत सुंदर रचना
Thanks
🤔🤔🤔🙏🙏🙏
✍👌👌
Thanks
बहुत ही अच्छी
Thanks
अतिसुन्दर
Thanks
बहुत खूब
Thanks
प्रतीक्षा रत प्रेमिका की दर्द भारी दास्तान और विरह वेदना का यथार्थ चित्रण किया है कवियित्री ने, बहुत खूबसूरती से हृदय की भावनाएं व्यक्त की हैं ।
Thanks
विरहानुभूति का बहुत ही सुंदर शब्दों में चित्रण हुआ है। बहुत सुंदर लेखन प्रतिभा है, भाषा पर अद्भुत पकड़ है, वाह।
Thanks