Categories: मुक्तक
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” मौत करती है रोज़ “
मौत करती है नए रोज़ बहाने कितने ए – अप्सरा ये देख यहाँ तेरे दीवाने कितने मुलाक़ात का इक भी पल नसीब ना हुआ…
भाव पुराने होते हैं
कविताएँ नई होती हैं, पर भाव पुराने होते हैं। गैम्बलर बदल जाते हैं, पर दाव पुराने होते हैं।। कितना भी लेबुल बदलते रहो पर शराब…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वर्ष कलैंडर शाल हैं बदले !
वर्ष कलैंडर शाल हैं बदले ! किंतु न अपने हाल हैं बदले !! नये साल का शोर करो मत ! पेड़ों ने बस छाल हैं…
तू मेरी है जिंदगी
एक प्यारा सा सपना! है जिंदगी, तेरी जुल्फों का लटकना !है जिंदगी, तेरी आंखो का काजल! है जिंदगी, मैने कहा तू मेरी! है जिंदगी। तेरे…
आपकी सोच थोड़ा हट के है, साधारण से शब्दों से ही आप बहुत कुछ कह देती हैं
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
इस सुंदर समीक्षा के लिए।
सुंदर
हार्दिक धन्यवाद
थोड़े से शब्दों में गहरी बात
सादर धन्यवाद
Very nice
Thank you
बहुत बढ़िया
धन्यवाद सर
Life is different…n we see new thing every day
Thank you