Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
एक वक़्त वो भी था
पिछले साल की बात 2020 का एक वक़्त वो भी था, एक वक़्त वो भी था, जब हम अजनबी हुआ करते थे, एक वक़्त वो…
शायरी संग्रह भाग 1
मुहब्बत हो गयी है गम से, खुशियाँ अच्छी नहीं लगती। पहले दुश्मन मुहब्बत करते थे, अब दोस्त नफरत करते हैं।।1।। विकास कुमार कमति.. बदलते…
गुड मॉर्निंग भेजा
कविता- गुड मॉर्निंग भेजा ———————————- गुड मॉर्निंग भेजा, हमकों एकSMS मिला, क्षण भर हम ठहर गए थें, हाय कोरोना तेरे कारण भूल गए थें, अपने…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
वाह क्या बात है। इरादे बुलंद ही रखो ।
Tq
वाह वाह, बहुत खूब अभिव्यक्ति
Tq
Nice
मुझे लगता है कि आपकी कविता अधूरी है क्योंकि इससे कोई भी मैसेज या अर्थ निकालना मुश्किल है
वसुधरा जी मैं आपकी बात का सम्मान करती हूँ परंतु
बता दूँ की इस 2liner shayri का अर्थ क्या है…
“जरा सी तकलीफ या मुसीबत से आजकल कदम (हौसला) डगमगा जाता है…
पर एक वक्त वह भी था जब कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करने में कोई परेशानी नही होती थी परंतु अब ऐसा नहीं है”….
यह था आशय जिसे कम में ज्यादा समझिये…