सरगम
मन में मेरे आज एक,
सरगम सी बज रही है
पुष्पित हुआ है हृदय,
सुगंधि सी आ रही है
कोई, कहीं दूर से मुझको,
याद कर रहा है
उसको कोई बतादे,
वो भी याद आ रहा है..
*****✍️गीता
मन में मेरे आज एक,
सरगम सी बज रही है
पुष्पित हुआ है हृदय,
सुगंधि सी आ रही है
कोई, कहीं दूर से मुझको,
याद कर रहा है
उसको कोई बतादे,
वो भी याद आ रहा है..
*****✍️गीता
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वाह हनी सिंह का गाना याद आ गया..
“कल परसों दी मैनू एक नंबरा कॉल अउंदी है
मैनू लगदा है मेरी सहेली मैनु फोन मिलौंदी है”
बहुत लाजवाव अभिव्यक्ति
शुक्रिया प्रज्ञा जी
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
सच कहा आपने अक्सर
“हमें जिसकी कमी महसूस होती है
वे भी हमारी यादों से परेशा होते हैं “
बिलकुल सही कहा आपने
सुन्दर अभिव्यक्ति है ।
“अकसर हम जिन्हें याद करते हैं
वे भी हमारी यादों से परेशा होते हैं ”
धन्यवाद जी, लेकिन यादों से परेशान का तो कोई ज़िक्र नहीं है कविता में।क्या पता कोई याद कर के खुश हो रहा हो
अतिसुंदर भाव
भाव को समझने और एक सही समीक्षा करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी सादर आभार🙏🙏
कवि गीता जी की इस कविता में बहुत ही सुखद स्नेह की अभिव्यक्ति है जिसमें गम का लेश मात्र न होकर प्रफुल्लित मन की प्रफुल्लित अभिव्यक्ति हुई है। यह कवि गीता जी की लेखनी की सुरम्य विशेषता है। रूमानी अंदाज, कोमल अभिव्यक्ति ऐसा गीता जी ही कर सकती हैं। वाह, याद करने की सौंधी खुशबू और फिर उसे दूसरी तरफ से भी याद का संदेश भेजा जाना बहुत ही बेहतरीन है। भाषा व शिल्प भी अतिउत्तम है
इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए आपका बहुत सारा धन्यवाद सतीश जी
आपके कवि हृदय ने एक कवि की भावानुभूति को बहुत अच्छी तरह से समझा है । इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर 🙏
बहुत शानदार लिखा है वाह
कविता की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद जोशी जी🙏
वाह मैम अतीव सुन्दर
Thanks for your precious compliment Piyush ji.