“हमारी अधूरी कहानी”
जब तुम सामने आए
हम कुछ ना बोल पाए
होंठ सिल गये और
हाथ थरथराये
क्या हुआ मुझको अचानक
यह समझ ना मैं सकी
कहना जो था मुझको तुमसे
हाय! क्यों ना कह सकी
कुछ तो गलती थी तुम्हारी
कुछ हमसे भी हुई
नजर जब तुमसे मिली
दिल में हलचल-सी हुई
तुम जो ना मुस्कुराते
क्यों हम अपना दिल तुमसे लगाते
नहीं हम जो कह सके
क्यों ना तुम वो सुन सके
रह गई बस इसी वाइस
“हमारी अधूरी कहानी”
दिल दुःखा जब-जब तुम्हारा
मेरी आँखों से बरसा पानी…
क्या खूब लिखती हो प्रज्ञा भाव बहुत सुंदर हैं
बेहद सटीक रचना
अतिसुंदर रचना