Categories: मुक्तक
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“रावण दहन”
दशहरे का रावण सबसे पूछ रहा है हर वर्ष देखा है मैंने स्वयं को दशहरे पर श्रीराम के हाथों से जलते हुये, सभी को बुराई…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
राम बन जा आज तू
ओ युवा!! भारत के मेरे, राम बन जा आज तू, खुद हरा भीतर का रावण, धर्म धनु ले हाथ तू। बढ़ रहे हैं नित दशानन…
विजयादशमी हम मनाते है
विजयादशमी हम मनाते है पर अपने अंदर के रावण को कहाँ जलाते है ? कटाक्ष कर रही है भगवान श्री राम की सच्चाई और निष्ठा…
कुछ नया करते
चलो कुछ नया करते हैं, लहरों के अनुकूल सभी तैरते, चलो हम लहरों के प्रतिकूल तैरते हैं , लहरों में आशियाना बनाते हैं, किसी की…
Nice thought
अति सुन्दर भाव एवम् प्रस्तुति
सुन्दर अभिव्यक्ति
Nice
बहुत ही सुन्दर भाव है।
बिलकुल सही सोच ।
सुन्दर अभिव्यक्ति
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद 🙏 🙏