Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दीप ऐसा जलाओ
दीप ऐसा जलाओ ************************ *********************** दीप ऐसा जलाओ ऐ दिलबर हर तरफ रौशनी -रौशनी हो। न अमावस की हो रात काली हर निशा चांदनी -चांदनी…
एक दीप जलाओ ऐसा
सौ दीप जला लो मंदिरों में, चाहे हजार दीये जले तेरे आँगन में, जब-तक तेरे मन की तम ना होंगे दुर । तब-तक है तेरे…
जलता जाए दीप हमारा।
जलता जाए दीप हमारा। मिट्टी के दीपों में भरकर तेल – तरल और बाती, तिमिर-तोम को दूर भगाने को लौ हो लहराती। मिट जाए भू…
बहते पवन को किसने देखा?
न तुमने देखे न मैंने देखा। बहते पवन को किसने देखा? जुल्फ चुनरिया उड़ते जब जब। बहती हवाएँ समझो तब तब।। बादलों को जो चलते…
एक दीप तेरे नाम की
आज जब मानव के बजूद पर बन आई है फिर भी जाति-धर्म की ये कैसी लङाई है गरीब देखे न अमीर ये वैश्विक महामारी है…
Bahut sundar rachana
बेहतरीन
बेहतरीन
वाह