पथ में न रुक जाना

पवन सा प्रवल मन
सागर सा झाग तन
छलके अनुपम कांति
सूर्य दीप बन जाना
*पथ में न रुक जाना*
—-कृते-के.के.पाण्डेय

Related Articles

Responses

+

New Report

Close