बीस हज़ार का बेटा

अचानक दस साल के एक फुटपाथी बच्चे के कानों में किसी औरत की चीख सुनाई पड़ी। वह अपनी झोंपड़ी के बाहर आया तो देखा एक औरत खून से लथपथ बीच सड़क पर तड़प रही थी। वह झट से थाने के तरफ दौड़ पड़ा। वह दारोग़ा के सामने जा कर सब कुछ बता दिया। दारोगा तुरंत उस बच्चे को जीप पर बैठाया। वहाँ से चल पड़ा। घटना स्थल पर जैसे ही पहुँचा वैसे ही तुरंत एम्बुलेंस को फोन किया। गाडी पहुँची उसे उठाया और अस्पताल ले गया। सही समय पर उसे इलाज हुआ। सप्ताह दिन के अंदर वह ठीक हो गयी। जब पुलिस आयी रिपोर्ट लिखने के लिए तब वह औरत कही ” धन्यवाद। पुलिस वालों के कारण ही मैं बच पाई “। दारोग़ा ” धन्यवाद के क़ाबिल हम पुलिस वाले नहीं। यह दस साल के फुटपाथी बच्चा है। यदि यह समय पर थाने नहीं जाता तो, शायद आप अब तक जीवित भी नहीं रहती”। वह औरत अपनी आँखों में आंसू ले कर उसे गले लगाया। औरत – बेटा तुम्हारा नाम क्या है? तुम्हारे मम्मी पापा कौन है? तुम्हारा घर कहाँ है? बच्चा ” मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। मम्मी थी वह भी चल बसी। मैं भीख मांग कर अपनी पेट पाल लेता हूँ। कोई मुझे मुन्ना कहता है तो कोई भिखारी कहता है। औरत –दारोग़ा साहब। मैं एक बांझ औरत हूँ। घर में अन्न धन की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ संतान की।मैं इस लड़के को गोद लेना चाहती हूँ। आप लिखा पढ़ी के साथ यह लड़का मुझे दे दीजिए। मै इसे पढ़ा लिखा के बहुत बड़ा इनसान बनाउंगी। दारोग़ा ” ठीक है। आपका काम हो जाएगा। आप अपना रिपोर्ट लिखा दीजिए। औरत -मै अपनी कंपनी के मजदूरों के लिए सिलेरी बैंक से छुरा कर ला रही थी। शाम के यही कोई सात या साढ़े सात का समय था। अचानक एक बदमाश मेरी गाडी से टकरा गया। मैं कार से जैसे ही उतरी वैसे ही वह बदमाश मुझे दबोच लिया। वह मेरी कंपनी के पाँच लाख रुपये लूट लिए। मैं आवाज़ लगाई तो उसने मेरे सिर पर वार कर दिया। उसने चाहा कि इसे खत्म कर दूँ। मैने अपनी बचाव के लिए जोर से चीख पड़ी। वह डर से मेरे रुपये ले कर भाग गया। दारोग़ा रिपोर्ट लिख कर यह दिलासा दिलाया कि, शीध्र ही उस चोर को पकड़ कर आपके सामने लाउंगा। कल आप थाने आ कर लिखा पढ़ी के साथ इस बच्चे को गोद ले लीजिए। आज से यह बच्चा आपका हुआ। दस दिन गुजरने के बाद थाने से उस औरत के यहाँ फोन आया। वह उस बच्चे को ले कर थाने में पहुँची। दारोगा उस औरत को चार लाख अस्सी हजार रुपये देते हुए कहा – पहचानिए यही दाढ़ी वाला था”? औरत – हाँ ।हाँ । दारोग़ा साहब यही था। दारोग़ा ‘मुझे अफसोस है कि आपके बीस हज़ार रुपये इसमें कम है “।कोई बात नहीं दारोग़ा साहब मैं समझूंगी कि मै अपने बेटे अमन के लिए खिलौने खरीद लिया।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

    1. मेरी रचना को आपने हमेशा सराहा है।आपकी सराहना ही मेरी हौसला को बुलंद करती है।

    1. मेरी कहानी को आपने अवलोकन किया।मैं आपको दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।

  1. मार्मिक कथानक एवं अभिव्यक्ति से सजी सुंदर कहानी है…👏👏👏👏👌👌👌👌

    1. आपकी समीक्षा का ही मुझे इन्तजार रहता है। आपकी समीक्षा ही मेरे लिए अनमोल तोहफ़ा है।

+

New Report

Close