लहरों ने किनारा पा ही लिया…

आखिरकार बुलंदियों का
आसमां पा ही लिया…
आखिरकार आसमां से
एक सितारा तोड़ ही लिया…
बिछ गये रंगीन पंखों की तरह ख्वाब मेरे,
आखिरकार लहरों ने किनारा पा ही लिया…

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जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. “बिछ गये रंगीन पंखों की तरह ख्वाब मेरे,आखिरकार लहरों ने किनारा पा ही लिया…”
    अपने ख़्वाब पूरे होते हुए देखने की कवि की बहुत सुन्दर पंक्तियां
    उल्लास के क्षण व्यक्त करती हुई बहुत सुंदर कविता

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