बोलो उसकी क्या गलती थी
तुम्हारी नादानी थी
बोलो उसकी क्या गलती थी
वो पेट में खेला करती थी,
बाहर आकर दुनिया देखूंगी
मन में सोचा करती थी।
वो कलिका अपने जीने के
सपने देखा करती थी,
तुम से मम्मा कहने को
मन ही मन आतुर रहती थी।
लेकिन पैदा होते ही
अपनी लाज बचाने को
तुमने उसका गला दबाया
मार दिया बेचारी को।
तुम्हारी नादानी थी
बोलो उसकी क्या गलती थी
उसको तो कुछ पता नहीं था
वो तो नन्हीं सी कोपल थी।
बहुत सच्ची और मार्मिक कविता
अतिसुंदर भाव
बहुत ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है कवि सतीश जी ने अपनी इस कविता में। समाज की कुछ सच्चाइयों को उजागर करती और मर्यादाओं को हुई सिखाती हुई बहुत ही भावुक रचना । अति उत्तम लेखन