मैं-मैं व तूं तूं
सारे व्यापार को तेरा आधार
संबंधों में भी तुझसे ही है प्यार
तुझमें ही सब और सबमें प्रकट तूं
फिर भी सब में क्यूं भरा मैं मैं व तूं तूं
पल पल के मीत जाते बीत
प्यार सच्चा पर अंतराल का गीत
नीरस जीवन में लाता मधुरता संगीत
प्रियतम तेरे आशीष संबंध सुख पाते जीत
तुझसे ही बने हैं सारे रूप
नेह आगार भरे कितने अनूप
सुंदर जो थे कैसे बन जाते कुरूप
प्रभु तुझसे ही तो सब की छांव धूप
अंत तुम्हीं तुझमें विश्राम
तुझमें रमन कर होते शाम
तुझसे ही सफल तो सारे काम
करूणानिधि तुझसे ही मिले हर बिहान
बहुत सुंदर रचना, सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर
सुंदर रचना
सारे व्यापार को तेरा आधार
संबंधों में भी तुझसे ही है प्यार
तुझमें ही सब और सबमें प्रकट तूं
फिर भी सब में क्यूं भरा मैं मैं व तूं तूं
—– वाह क्या बात है। बहुत सुंदर पंक्तियां। बहुत सुंदर भाव
Nice line