Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
आखिर क्या समझूं ???
तुम्हारी बेरुखी को प्यार समझूं या खता समझूं तू ही बता ना आखिर क्या समझूं ? सामने आकर भी मुह फेर लेते हो बेबसी समझूं…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
हिन्दी गजल- बंजर भूमि की रोटी |
हिन्दी गजल- बंजर भूमि की रोटी | बहारों के मौसम गुल खिल जाये दिखाना मुझे | बागो फूल भवरा गर मिल जाये दिखाना मुझे |…
वाह वाह बहुत ही उत्तम
Bahut sundar
अति सुंदर
JAY ram JEE ki
अपने बड़ों का सम्मान करना सिखाती हुई बहुत ही श्रेष्ठ रचना। उम्दा लेखन
अति उत्तम प्रस्तुति
अतिसुंदर भाव
नींद तू रात को
सताना मत,
ऐसे सपनों को तू
दिखाना मत,
टूट कर गम मुझे
बहा जाये,
दर्द ऐसा हो जो
सहा जाये,
बोल ऐसा हो
जो मैं कह पाऊं,
बड़ों का सम्मान करना सिखलाती हुई रचना