मैं फिर भी तुमको चाहूंगी (साहित्य को समर्पित)

मिथ्याओं पर आधारित
है साहब ! सोंच तुम्हारी
अब तो सारी बातें हैं
लगती झूँठ तुम्हारी
मेरी अभिलाषा का
है तुमने जो उपहास किया
मेरी करुण व्यथा का
है तुमने जो अपमान किया
ना कभी माफ कर पाऊँगी
ना हिय से उसे भुलाऊंगी
ऐ साहित्य ! तुझे मेरा प्रणाम
मैं फिर भी तुमको चाहूंगी।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. मेरी करुण व्यथा का
    है तुमने जो अपमान किया
    ना कभी माफ कर पाऊँगी
    ना हिय से उसे भुलाऊंगी
    __________ कभी प्रज्ञा जी की भावुक रचना, उत्तम अभिव्यक्ति

+

New Report

Close