Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना |
हिन्दी गीत- सुना घर परिवार बिना | प्रिया प्रिय बिना देह हिय बिना | नीर क्षीर बिना भोजन खीर बिना | उत्सव उदास उपहार बिना…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
कुछ दिल की सुनी जाये
चलो रस्मों रिवाज़ों को लांघ कर कुछ दिल की सुनी जाये कुछ मन की करी जाये एक लिस्ट बनाते हैं अधूरी कुछ आशाओं की उस…
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद, आभार
बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना
सादर धन्यवाद शास्त्री जी
अति उत्तम रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत शानदार रचना
धन्यवाद जी
कहे लेखनी बीज, भरोसे का तू अब बो,
उगा भरोसा आज, भरोसा अपना मत खो।
___________ किसी भी व्यक्ति को अपना भरोसा नहीं खो देना चाहिए , इसी तथ्य पर आधारित कवि सतीश जी की छंद शैली में बहुत शानदार रचना अति उत्तम लेखन ।
आपने इतनी सुन्दर समीक्षा की है, बहुत सक्षम लेखनी है आपकी। बहुत बहुत धन्यवाद
अति सुंदर