प्रेम की दास्तान
प्रेम….
किसी को समझाया नहीं जा सकता।
यह तो केवल एक अनुभूति है,
जो स्वयं ही होती है।
प्रेम स्वार्थहीन है,
सागर सी गहराई लिए हुए ,
एक खूबसूरत एहसास!!
इन्तजार में और भी वृद्धि करता है
और मिलन में होता है ख़ास।
प्रेम पूर्णत: है एक एहसास,
प्रेम को आवश्यकता नहीं है समझाने की
उसको आंखें कर देती हैं बयान।
और प्रेम करने वाले,
स्वयं ही कर लेते हैं आभास।
यही है प्रेम की दास्तान॥
_____✍गीता
बहुत सुंदर रचना
हार्दिक धन्यवाद कमला जी
बहुत खूब वाह
बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूष जी, आभार
बहुत खूब, अति सुंदर कविता
धन्यवाद सीमा जी
प्रेम स्वार्थहीन है,
सागर सी गहराई लिए हुए ,
एक खूबसूरत एहसास!!
—– बहुत सुंदर कविता। बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति
इस उत्साह वर्धन करने वाली समीक्षा के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी
Great poem
Thank you very much chandra ji, Thanks for your nice compliment.
अति सुन्दर रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद कमला जी, हार्दिक आभार
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद भाई जी🙏
सही कहा