उन्हें हम शिक्षक कहते हैं
अंधेरी राह जीवन की
हमारी रोशन करते हैं,
हमें जो ज्ञान देते हैं
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
दिशा देते हैं जीवन को
करा कर बोध अक्षर का
नयन में ज्योति देते हैं
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
बिना शिक्षा के जीवन में
नहीं कोई सफलता है,
हमें शिक्षित बनाते हैं
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
हमें सदमार्ग देने को
जिन्हें ईश्वर ने भेजा है,
फरिश्ते से हैं सच में वे
जिन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
हमें मानसिक व सामाजिक
बुलन्दी की तरफ ले जा
हमारा कल सजाते हैं
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
नहीं लेते कभी कुछ वे
वरन देते बहुत कुछ हैं
हमें आगे बढ़ाते हैं
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
हमें करते प्रेरित हैं
हमारा कल बनाते हैं,
हमें आगे बढ़ाते हैं,
उन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
हमें सदमार्ग देने को
जिन्हें ईश्वर ने भेजा है,
फरिश्ते से हैं सच में वे
जिन्हें हम शिक्षक कहते हैं।
__________ शिक्षकों के सम्मान में लिखी गई कवि सतीश जी द्वारा रचित अत्यन्त सुन्दर और श्रेष्ठ रचना।भाव एवम् शिल्प का अद्भुत संगम। लाजवाब अभिव्यक्ति..उच्च स्तरीय लेखन। इस कविता के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी.. 💯/💯
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी, आप भी एक सम्मानित शिक्षिका हैं, समाज में पूज्य हैं, नई पीढ़ी की दिशानिर्देशक हैं, अतः पंक्तियाँ आपको सादर समर्पित।
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी, आप भी एक सम्मानित शिक्षिका हैं, समाज में पूज्य हैं, नई पीढ़ी की दिशानिर्देशक हैं, अतः पंक्तियाँ आपके समक्ष सादर प्रस्तुत।
🙏🙏
वाह, समाज को दिशा देने वाले गुरुजनों को समर्पित बेहतरीन रचना।
शिक्षकों के सम्मान में लिखित और शिक्षकों को समर्पित बहुत सुंदर और शानदार कविता l
बहुत ही सुंदर रचना,👏🙏
(आपकी रचना देख मुझे भी दो पंक्तियां याद आ रही हैं…शिक्षक कब सामान्य व्यक्ति है वह तो शिल्पकार होता है,गीली मिट्टी को संवारने वाला कुंभकार होता है)
अतिसुंदर