मां बहन के नाम की गाली
आज जब धरती मां सुला रही लोगों को अपनी गोद
फिर भी रंजिशे मिट नहीं रही ,पुरानी बातें भी रहें खोद
प्यार स्नेह तो बचा नहीं, गालियां देते एक दूजे को रोज
मां बहन के नाम की गाली तो सब के मुंह में ऐसे रहे जैसे मोहनभोग
भगवान के नाम से भी ज्यादा विख्यात हुई यें गालियां, है कुछ ऐसा संजोग
बड़े बूढ़े तो देते फिरे खेलते समय बच्चे भी देते ,ना पातें खुद को रोक
एक मां के जाए दो लाल यदि आपस में लड़े , अपनी मां को भी गाली देते हैं ताल ठोक
गालियों से शुरू होता झगड़ा और हो जाते गोलियों से खोपड़ियों में छेद
मिंन्टों समय बीत ना पाए, रुक जाती सांसें और खून हो जाता सफेद
नहीं इस पर कोई रोकथाम क्या है इसका भेद
मां बहन के नाम की गंदी गालियां सुन होता मन को बड़ा खेद
——-✍️——एकता
Nice
धन्यवाद
bilkul sahi baat h bhut achhi line likhi h aapne ekta ji 👌🏻
आपका सादर अभिनन्दन कोमल जी
हमारे समाज में गाली जैसी बुराई पर तंज कसती हुई आपकी यह
कविता
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति एकता जी
बहुत खूब
एक मां के जाए दो लाल यदि आपस में लड़े , अपनी मां को भी गाली देते हैं ताल ठोक
👌🏾👌🏾😞
आपका सादर अभिनंदन
Nice