कविता- मजदूर बिन विकाश नहीं |
01 मई को मजदूर दिवस की हार्दिक बधाई |
कविता- मजदूर बिन विकाश नहीं |
मजदूर बिन विकाश नहीं दिया बिन प्रकाश नहीं |
खेलकर जान भविष्य राष्ट्र गढ़ते पर अवकाश नहीं |
रहते है झोपड़ी मे पर महल वो बनाते है |
खुद की राह पता नहीं सड़क वो दौड़ाते है |
शुबह को खाया रात को भूखा सोना लाचारी है |
जिन खेतो लहलहाते फसल अनाज दुश्वारी है |
जिन इंटो सना खून पसीना उनपर उनका राज नही |
मजदूर न होते चक्का चलता कैसे कारखानो का |
गाड़ी मोटर भट्ठा क्या होता मालिको के अरमानो का |
धूप गर्मी बरसात वो कुछ कभी जानते नही |
आराम हराम है चोरी बेईमानी वो मानते नही |
गढ़ने वाले भविष्य भारत उन हाथो सलाम करते है |
देश का गौरव व विकाश मजदूरो के नाम करते है |
रचा जिसने गगनचुंभी इमारत नसीब खुला आकाश वही |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक / गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब -995550986
Nice
हार्दिक आभार आपका
Nice
हार्दिक आभार आपका पाठक जी
मजदूर बिन विकास नहीं,
दिया बिन प्रकाश नहीं,
बहुत सुंदर रचना
haardik aabhaar aapkaa amita ji
अतिसुंदर भाव
haardik aabhaar aapkaa pandit ji
मजदूर दिवस पर बहुत ही सुंदर कविता