इंतज़ार

इंतज़ार ये नन्हा सा पौधा, जो फूट निकला है धरती की गोद से, कितना नाज़ुक है ये कितना सौम्य,कितना पवित्र, किसी नन्हे बच्चे की तरह…

Ghazal

जय हिन्द साथियो पहचान क्यों अलग सी है सारे जहान में सब सोचते ऐसा है क्या हिन्दोस्तान में है सभ्यता की मूल ये हिन्दोस्तां मेरा…

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