वतनपरस्ती के अशआर

आदाब

जहाँ के वास्ते बेशक कोई वरदान है भारत
फरिश्तों के लिए भी आरज़ू-अरमान है भारत

यहीं जन्मी है दुनियाँ की पुरानी सभ्यता यारो
सभी वेदों पुराणों का कोई सम्मान है भारत

क़सीदा हो, रुबाई हो, ग़ज़ल हो यां कोई नग़मा
सभी दानिशवरों का एक ही उन्वान है भारत

कभी है खीर की ख़ुश्बू कभी मीठी सेवइयां हैं
कभी दीपावली है ये कभी रमजान है भारत

मेरा मशरिक़ में हो घर याँ ठिकाना हो मेरा मग़रिब
रहूँ चाहे कहीं पे भी मेरी पहचान है भारत

हज़ारों बोलियों की खुशबुएँ घुलती फ़िज़ाओं में
सभी धर्मों से महका सा बड़ा गुलदान है भारत

करेगा ‘आरज़ू’ कुर्बान अपनी ज़िंदगी हसके
तू मेरी आन, मेरी शान, मेरी जान है भारत

अर्जुन गुप्ता (आरज़ू)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close