सवेरे

सवेरे ही सवेरे हों ,मुसीबत के अंधेरे में , मित्रता-सूर्य की किरणें ,बिखर जाएं, अंधेरे में। जानकी प्रसाद विवश

पहला नमन

“*पहला नमन “* *—***—** हर सुवह का पहला नमन आपको अर्पण करें। मनमीत मेरे आप खुश हों खुशियाँ पदार्पण करें । जानकी प्रसाद विवश मेरे…

दिल

किसी का दिल भी , आईने की तरह टूट गया। लाख पुचकार कर जोड़ें, नहीं जुड़ पाएगा । रास्ता जिंदगी का बन गया आड़ा-टेढ़ा ,…

मित्रता

मित्रता – तीर्थ ना जो जा पाया व्यर्थ मानव का जन्म है पाया। मित्र बिन जिंदगी मरुस्थल सी , मित्रता जल ने उसे हरियाया ।…

New Report

Close