मुक्तक
तेरी यादों के कदम रुकते नहीं कभी! तेरी जुल्फों के सितम रुकते नहीं कभी! रोशनी उम्मीदों की जलती है हरदम, तेरी चाहत के वहम रुकते…
तेरी यादों के कदम रुकते नहीं कभी! तेरी जुल्फों के सितम रुकते नहीं कभी! रोशनी उम्मीदों की जलती है हरदम, तेरी चाहत के वहम रुकते…
तेरी यादों के कदम रुकते नहीं कभी! तेरी जुल्फों के सितम रुकते नहीं कभी! रोशनी उम्मीदों की जलती है हरदम, तेरी चाहत के वहम रुकते…
मैं जब कभी शाम की तन्हाइयों में चलता हूँ! मैं अपने ख्यालों की खामोशियों में ढलता हूँ! जब जिंदगी जलती है हालात की ज्वाला से,…
तेरे आ जाने से फिर बहार आ गयी है! हरतरफ तेरी खुशबू खुशगवार आ गयी है! वीरान था आलम मेरी तमन्नाओं का, मेरी जिन्दगी फिर…
हमें आप जब कभी याद आने लगते हैं! हमें दर्द ख्वाहिशों के सताने लगते हैं! यूँ पास आ जाते हो मेरी निगाहों में, हमें ख्वाब…
कौन है किसी का हमदर्द इस जमाने में? कैद ख्वाहिशें हैं हालात के तहखाने में! किसी को कहीं खौफ है हर वक्त उजालों से, कोई…
हर घड़ी तेरा तलबगार हूँ कबसे! तेरे इश्क में गिरफ्तार हूँ कबसे! अब कोई खौफ नहीं है अंजाम का, वक्ते-सितम के लिए तैयार हूँ कबसे!…
शायद मेरे गम की कभी रात आखिरी हो! मेरी तन्हाई से मुलाकात आखिरी हो! यूँ कबतलक चुभती रहेगी तेरी जुस्तजू? तेरी यादों से कभी तो…
सितम के दौर में सभी यार भूल जाते हैं! राह-ए-वफा को वफादार भूल जाते हैं! जब करवटें लेती है तस्वीर-ए-जिंदगी, उम्र भर किसी का इंतजार…
तेरी नजर में कबसे प्यार सा कुछ है! तेरी अदाओं में इजहार सा कुछ है! हर वक्त ढूंढती हैं किसी को करवटें, तेरी बाँहों को…
मैं अपने सितमगर को सता कर आया हूँ! मैं आज उनको बेवफा बता कर आया हूँ! जख्मों को भूल जाना बहुत मुश्किल है मगर, मैं…
हर किसी के दिल में किसी की आस है! जिंदगी में हर पल किसी की प्यास है! क्यों चाँद रहता है मगर तन्हाई में? जब…
जिसतरह फूलों को मुस्कुराहट ढूंढ लेती है! मुझको तेरी यादों की आहट ढूंढ लेती है! जब घेरती हैं नजरों को तस्वीरें दर्द की, मुझको मयकशी…
काश मैंने तुमको पहचान लिया होता! तेरी बेवफाई को जान लिया होता! यूँ बेवसी न मिलती कभी तन्हाई की, तेरी अदा को दिल्लगी मान लिया…
तेरे दिल की बात बदल न जाए कहीं! वक्ते-मुलाकात निकल न जाए कहीं! कब तक करूँ यकीन तेरे प्यार पर? तन्हाई में रात ढल न…
तेरे दिल की बात बदल न जाए कहीं! वक्ते-मुलाकात निकल न जाए कहीं! कब तक करूँ यकीन तेरे प्यार पर? तन्हाई में रात ढल न…
तेरे बगैर मैं तो तन्हा जिया करता हूँ! शामो-सहर मैं तुमको याद किया करता हूँ! ख़ुद को खो चुका हूँ इतना तेरे प्यार में, नींद…
जब कोई जिन्दगी मजबूर हो जाती है! राह मुश्किलों की मग़रूर हो जाती है! मंजिल निगाहों में करीब होती है मगर, तकदीर उम्मीदों से दूर…
तेरे लिए ख़ुद को भुलाता रहा हूँ मैं! अश्कों को पलक से बहाता रहा हूँ मैं! जब भी हुई है मेरी शामे–तन्हाई, चाहत की आग…
तेरी जुबां पर मेरा नाम कब आएगा? तेरी मुहब्बत का पैगाम कब आएगा? धधकी हुई चाहत है कबसे सीने में, शर्माती आँखों का सलाम कब…
तेरी जुबां पर मेरा नाम कब आएगा? तेरी मुहब्बत का पैगाम कब आएगा? धधकी हुई चाहत है कबसे सीने में, शर्माती आँखों का सलाम कब…
तेरी याद जब कभी कहानी आती है! तेरे जख्म की नजर निशानी आती है! किस्तों में रात चुभती है तन्हाई की, करवटों में दर्द की…
तुम मेरे ख्यालों में आकर चली जाती हो! तुम मेरी नींद को उड़ा कर चली जाती हो! आँखों में ठहर जाता है हुस्न का जादू,…
कभी जिंदगी में चाहत मर नहीं पाती! कभी दौरे–मुश्किलों से डर नहीं पाती! हर वक्त नाकामी का खौफ़ है लेकिन, कभी आरजू ख्याल से मुकर…
मुझे मेरी तन्हाई कहीं मार न डाले! मुझे तेरी रुसवाई कहीं मार न डाले! हरतरफ नजरों में है यादों का समन्दर, मुझे तेरी परछाई कहीं…
मैं तेरी मुहब्बत को पाना चाहता हूँ! मैं तेरी निगाहों में आना चाहता हूँ! दीवानगी मचल रही है तेरी जिगर में, मैं तुमको जिन्दगी में…
मैं तेरे दर्द को ईनाम समझ लेता हूँ! मैं तेरी याद को पैगाम समझ लेता हूँ! ढूढता हूँ जब भी मदहोशी पैमानों की, मैं तेरी…
तुम कभी दिल से न रिश्ता तोड़ देना! तुम कभी तन्हा न मुझको छोड़ देना! मुश्किल है अब तुम बिन मेरी जिन्दगी, #राहे_दर्द पर न…
मैं तेरा कबतलक इंतजार करता रहूँ? तेरी आरजू को बेकरार करता रहूँ? थक गयी हैं कोशिशें मेरी उम्मीदों की, मैं तेरे प्यार पर ऐतबार करता…
जब कभी तुम मेरी यादों में आते हो! धूप सा ख्यालों को हरबार जलाते हो! घुल जाती हैं साँसें चाहत के रंग में, चाँद की…
जब कभी तुम मेरी यादों में आते हो! धूप सा ख्यालों को हरबार जलाते हो! घुल जाती हैं साँसें चाहत के रंग में, चाँद की…
हर शख्स जमाने में बदल जाता है! वक्त की तस्वीरों में ढल जाता है! उम्मीद मंजिलों की होती है मगर, गमों की आग से ख्वाब…
जो मस्तियों का दौर था वो आज नहीं है! अब जिन्दगी में शौक का मिजाज नहीं है! टुकड़ों में नजर आती हैं वस्ल की रातें,…
आज अपने गम को मिटाने निकल पड़ा हूँ! आज तेरी याद को भुलाने निकल पड़ा हूँ! जाग उठी हैं रौनकें शामे–मयकदों की, आज लबों की…
आज हवा भी जरा सी नम हो गयी है! गमे–जुदाई भी बेरहम हो गयी है! धड़कनों में उठ रही है दर्द की लहर, आँखों में…
मैं कभी-कभी निकलता हूँ ज़माने में! शामे–गुफ्तगूं होती है मयखाने में! थक जाती है महफिल भी सब्र से मेरे, वक्त तो लगता है दर्द को…
मत करो तुम कोशिश जब वो आसान हो! खोज लो उजाले जब कभी वीरान हो! चाँद खींच लेना प्यार से आगोश में, राहे–जिन्दगी न तेरी…
अब दर्द ही तेरा बहाना रह गया है! ख्वाबों का ख्यालों में आना रह गया है! वक्त ने धुंधला दिया है यादों को मगर, दिल…
तन्हा रात हुई है फिर कुछ होने को है! किसी की यादों में जिन्दगी खोने को है! चाँद तमन्नाओं का फिर आया है नजर, मेरी…
कभी न कभी हमको हमारा मिल ही जाता है! कभी न कभी हमको सहारा मिल ही जाता है! जब भी चल पड़ते हैं कदम हिम्मत…
आप जबसे जिन्दगी में मिल गये हैं! रास्ते मंजिल के फिर से खिल गये हैं! जागे हैं ख्वाबों के पल निगाहों में, जख्म भी जिगर…
क्यों तुम भटक गये हो वस्ल की राहों में? क्यों तुम बिखर गये हो दर्द की आहों में? ढूँढती हैं मंजिलें रफ्तार हिम्मत की, क्यों…
जबसे तेरे दर्द का पैगाम आ गया है! तबसे मेरी जिन्दगी में जाम आ गया है! मैं क्या करूँ नुमाइश अपनी तमन्नाओं की? जब तेरा…
तुम मेरी जिन्दगी में खास बन गये हो! तुम मेरी मंजिलों की प्यास बन गये हो! हर वक्त तड़पाते हो आकर यादों में, तुम मेरे…
तेरा ख्याल मुझको तड़पाकर चला गया! अश्कों को निगाहों में लाकर चला गया! नींद भी आती नहीं है तेरी याद में, करवटों में दर्द को…
दर्द तन्हा रातों की कहानी होते हैं! तड़पाते हालात की रवानी होते हैं! कभी होते नहीं जुदा यादों के सिलसिले, दौरे-आजमाइश की निशानी होते हैं!…
कोई रोके लाख मगर सवेरा नहीं रुकता! सामने उजालों के अंधेरा नहीं रुकता! हम रोक लेंगे हिम्मत से तूफाने-सितम को, जुल्मों के खौफ से कभी…
तेरी याद कभी-कभी मुस्कान देती है! तेरी याद कभी-कभी तूफान देती है! टूटी हुई चाहत भी जुड़ जाती है कभी, कभी-कभी हर आलम सूनसान देती…
तेरी आज भी मुलाकात का असर है! तेरे ख्यालों की हर बात का असर है! नींद उड़ जाती है यादों की चोट से, तड़पाते लम्हों…
मैं क्या भरोसा कर लूँ इस ज़हाँन पर? डोलता यकीन है टूटते इंसान पर! हर किसी को डर है तूफाने-सितम का, आदमी जिन्दा है वक्त…
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