मुझसे मेरी मंजिल ना पूछो
मुझसे मेरी मंजिल ना पूछो पागलपन कबका छोड़ दिया हाल क्यो हुआ बेहाल ना पूछो आँखों में जीना था छोड़ दिया ….. यूई
मुझसे मेरी मंजिल ना पूछो पागलपन कबका छोड़ दिया हाल क्यो हुआ बेहाल ना पूछो आँखों में जीना था छोड़ दिया ….. यूई
देखा जो मंजिलों का असली चेहरा तबसे मंजिलों को ही दफना बैठे ….. यूई
हसीन सूरत की देखकर असली सीरत अपनी नजरों से ही शिकायत कर बैठे कह्ते रहे लोग इश्क होता है अंधा हम बहरे हो ख़ुद ही…
पाकर मंजिलों को ही मंजिलों की फितरत जानी फिर ना कभी मंज़िलो को पाने की हसरत जानी ….. यूई
दीवानगी रास्तों से कुछ यूँ बड़ी मंजिलों की चाह ही कहीं छूट गई ….. यूई
मंज़िल का कुछ पता नही कह्ता है मैँ तो मुसाफिर हूँ मैं भटका नही हूँ ख़ुद की राह से मैँ तो उसकी राह् का मुसाफिर…
जरूरी नही के हर सफर की हो मंज़िल बिन मंज़िल भी कभी चल कर देखो सफर में खो जाओगे भूल कर मंज़िल पल पल ज़िन्दगी…
मंजिलों के बिना भी चलना सीखो ज़िन्दगी में कभी यूँही जीकर देखो …… यूई
हर फुल की रूह भी फुल होता नही यह इंसानो में …… यूई
सुंदर सूरत में सीरत सुंदर कैसे तुमने यह सोच लिया …… यूई
चाहते हो जाएगी सारी पूरी यह जीवन में नही ज़रूरी …… यूई
फुल ना हर डगर मिलेंगे मंज़िल ना आसान मिलेगी …… यूई
वापसी की राह याद तुम रखना कोई है प्यासा याद तुम रखना …… यूई
अकेले ही सफर पे निकल गए हो अबके दूर की राह पकड़ गए हो …… यूई
खाली अरमान ज़िन्दगी तन्हा खाली सड़कें राहें तन्हा …… यूई
सूनी आँखें पथरीली आँखें सूनी राहें पथरीली राहें …… यूई
ख़ुद से ख़ुद को बहला लिया है यादों में तेरी मन सहला लिया है …… यूई
सुनापन मोहे अपना गया है ज़िन्दा मोहे दफना गया है …… यूई
मोहे अकेला छोड़ गए हो किसके सहारे छोड़ गए हो …… यूई
कौनसे देश तूने उडारी मारी जो तोहे घर की ना थारी …… यूई
शाम ढली है अब तो आ जा या मुझको अपने संग ही ले जा …… यूई
कैसी तूने उडारी मारी मेरी फिर थाह ना मारी . ….. यूई
रात ढली सब लौट आए हैं मेरे माही अब तूँ भी आ जा …… यूई
उड़ते पंछी लौट आए हैं शाम ढली लौट आए हैं …… यूई
मेरे मन की रज़ा जो तूँ समझ जाएगा दिल में मेरे जगह तूँ अपनी बना जाएगा …… यूई
मेरी डगर मन से तूँ अपना जाएगा पा मुझको हर हाल में तूँ जाएगा …… यूई
रिश्ते सब रंग के देख् लिए अब पानी की दोस्ती रास आई …… यूई
जब भी अंधेरों ने लूटा है हमको आपके आँचल ने समेटा है हमको …… यूई
अंधेरों ने निभायी दोस्ती हमसे उजालो से कही ज़्यादा हम्से …… यूई
ना जाने कितने टूटे दिलो को दी है पनाह आगोश में अपनी …… यूई
क्यों भटक गए अकेले राह् में तुम तो शायद बेवफ़ा ना थे …… यूई
अंधेरों सी हमें नफरत ना थी हाँ उजालो से दोस्ती ना हुई …… यूई
वफाए लेती है सबक वफ़ा का हमसे क्या वफ़ा का सबक तुम सिखाओगे …… यूई
ख़ुद से ही नजर चुराते हो तुम ख़ुद को ख़ुद ही जलाते हो तुम …… यूई
अंधेरों ने नही लूटा हमको उजालो नी ही आग लगाई है …… यूई
लोग अंधेरी राहो में गिरते हैं हमने उजालो में ठोकर खाई है …… यूई
दिन के उजालो ने दिखाए वोह रंग भा गए मोहे अंधेरों के अब संग …… यूई
अंधेरों से अब मोहे डर ना लगे जबसे तेरे प्यार की टूटे धागे …… यूई
तेरी तसवीर जिस मन संग पूरी उतरी नैया उसकी भाव सागर पर फिर उतरी …… यूई
राम नाम जिसने भी धियाया उसने ख़ुद का जीवन पर लगाया …… यूई
राम नाम राह् दिखाएगा तोहे जीवन चाह दिखाएगा …… यूई
नाम राम यू ही नही बलवान शक्ति है वोह सबसे महान . …
मीरा ने यू भक्ति भाव से नाम धियाया ख़ुद भगवान को भी गद गद कर पाया ….. यूई
मीरा ने यू प्यार निभाया तभी तो उसको पूरा पाया ….. यूई
यूँ मीरा है क्रिशन नाम की प्यासी बस कुछ यूँ ही हू मैं तेरी भी प्यासी ……. यूई
प्रीत तोरी मोहे ऐसी भाई इसने जीवन नैया पर लगाई ……. यूई
तौबा मेरी तौबा अपने ग़रूर से अब मेरी तौबा ……. यूई
तौबा मेरी तौबा इश्क से ही अब मेरी तौबा ……. यूई
जिंदा तो अभी ही हुए हैं जबसे तुम्हे जान गए है ……. यूई
भूलाएँ भी ना कभी है भूलती बचपन के दोस्त और दोस्ती ज़िन्दगी थी जिनमें ख़ुद हँसती ……. यूई
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