रिश्तों का जुड़ना
रिश्तों का जुड़ना कभी टूटी हड़ियों का , जुड़ना देखा है क्या ? टूटे हुए दोनों हिस्सों को , साथ में रख, श्वेत सीमेंट…
रिश्तों का जुड़ना कभी टूटी हड़ियों का , जुड़ना देखा है क्या ? टूटे हुए दोनों हिस्सों को , साथ में रख, श्वेत सीमेंट…
एक कोई राह अपना लो , वो राह यूई को दिखला दो या तो मुझे अपना बना लो, नहीं तो इस रिश्ते को दफना दो …
अपनीयत को गर है जन्मना तो , शिकवे – शिकायतें सब दफ्ना दो दिल से दिल की धड़कन मिला दो , अपनी रूह में मेरी…
दर्द देना गर फितरत है तेरी , अपनीयत का तुम गला दबा दो चाहें जितने भी फिर ज़ख्म दिला दो, अपनीयत के दर्द से मुझे…
दिल और रूह से जुड़ा , हमारा यह रिश्ता दो नावो की सवारी , सह नहीं सकता
दर्द अपनों को , भूले से भी दिया नहीं करते गर देना ही है दर्द तो , अपना उन्हें कहा नहीं करते …… यूई
स्वयम् सृजन पाने की चाहत मालिक को, कैसे पूरी कर पाएगा, ख़ुद की अनुभूति कर ना पाया, उसको कैसे पाएगा ? है नग्न इंसान…
मौलिक–विचार है म्हा–शक्ति, जो उसने ख़ुद तेरे चित् जगाई है, रहते ख़ास कारण उसके काम मैँ,क्यों उसने तुममे यह भरपाई है ? निर–विचार जो…
क्यों यह परदा दारी है, आ खुल के मेरे सामने आ मुझसे नज़र मिला के कह, तू कभी ना ग़लत हुआ सब नजरों में बन…
गरूर–ए–नजर में तेरी, मेरा सर झुका रहा तूने जब आवाज़ दी, दिल ने पलट कर कहा शायद तूँ बदल गया, घर मेरा मुझे मिल गया…
रूह मेरी तड़प तड़प गई, तूने ना पुकार सुनी तुझसे ना–उम्मीदी में, बैरंग सी यह फिज़ा बुनी ज़िन्दगी तो बसर गई, हर रिश्ता तार–तार हुआ…
जाने क्यों तुम नाराज हुए, ख़ुद ही मुझको ज़ुदा किया ना थे हम हमराज़ कभी, फिर क्यों यह शिकवा किया ता–उमर चली तूने अपनी राह्,…
था मैं चला कहां से, इसकी ना कोई याद मुझे हुआ मैं ग़लत कहां पे, इसका ना आभास मुझे चेतना है धुंधली सी, शायद था…
पथरों के शहर बस्ती है यह पथरों की शहर जिसे कहते लोग बस्ती यह ऊँची मंजिलों की जहां छोटे दिल के बस्ते लोग बस्ती…
स्वर्ण – चित् एक तरंग , एक सुर , एक ल्य है अब , सोच वचन और कर्म में मेरे एक ल्य , एक…
ਬਚਪਨ ਦੇ ਪੈਂਡੇ ….. ਭੁਲਾਯਾ ਨੇਹਿਓ ਭੂਲਦੇ ਓਹ ਮੇਰੇ ਬਚਪਨ ਦੇ ਪੈਂਡੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਚਲ ਕੇ ਕਦੀ ਪੈਰ ਨੇਹਿਓ ਸੀ ਥਕਦੇ ਜੇਹੜੇ ਲੰਬੇ ਹੋ ਕੇ…
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
तेरा मेरा रिश्ता यूई की आंखों से बहते आँसुओं को रूह की नजर से देख यह आँखें मेरी हैं पर आँसू तेरे हैं इन आंसुओं…
दर्द-ए-गम इस दर्द-ए-गम का, अपना ही मंज़र है, रात तो आती है, पर नींद नहीं आती शून्य का एहसास है, पर समझ नहीं आती जिंदगी…
आज नहीं तो कल तैरे नाम की बंदगी मैँ , झुका हुआ मेरा सर तैरे इशक की इबादत में, बंधे हुए मेरे हाथ तेरे नूरानी…
काली छाया ख़ुद को पाने की राह में, ध्यान लगा जो ख़ुद में खोया, अन्तर मन में उतरा मैं जब, अंधकार में ख़ुद को…
जब से तुझको पाया है , जिव देखो तुझ्सा लगता है , दुनियाँ मानो शीश महल , हर चेहरा ख़ुद का लगता है I …
रिश्तों की मौत रिश्तों के मरने का है अपना ही अंदाज़ तासीर मरे रिश्तों की है लम्बी बीमारी सी पल पल मारती पर मरने…
चौराहा बीच चार राहों के , वोह मुकाम , रुक कर जहां, एक राह चुनता इंसान . ऐसे कितने चौराहों से, गुजरती जिंदगी़ ,…
दिल-ए-ज़िगर …… मेरी गुस्ताखिॅया अंदाज़–ए–इश्क थी मेरी मेरी शोखियाँ दीदारे–ए–खुदा थी तेरी मेरी वही दिल-ए-ज़िगर की शोखी पे क्यों आज बिखर गये सब जज़्बात…
तेरी बँदगी ने ज़िन्दगी का फलसफा रोशन कर , जीने का रास्ता आसान कर दिया हर शय में दिखा ख़ुद को , यूई का ख़ुद…
ए मालिक क्यों ना कुछ कमाल हो जाए , ऐसा अपनी दुनिया में ध्माल हो जाए , हर शैतान इंसानीयत…
सोच कर यह , ख़ता दर ख़ता किए जा रहे हम , प्यार में तो वोह मिलने से गए , सजा देने ही शायद आ…
तेरी यादों के कागज को , छुपा रखा है , अपनी पलकों से थोड़ा पीछे , कहीँ सालों से बह्ते आँसू ,…
गम–ए–इशक में डूब कोई मरीज–ए–मोहब्बत ना बच पाया रफ्ता रफ्ता सरकती मौत देखी यूई ना मर पाया ना जी पाया ………
माँ–बाप की लाडो ज्यौं जोगि छोड़े दुनिया को त्यों अपनी दुनिया छोड़ आई हूँ मैं तेरी जोगन हो आई हूँ अपना व्याह रचा आई…
नींद की चाहत तो नही होती , बस इक आस सी रहती है , कम्बख्त आ जाए तो शायद , ख्वाब…
गर जमाने ने किया होता , कसम ख़ुदा की, सब कर गुजरते हम I अफसोस यह खंजर उन हाथों ने मारा जिनको ता–उमर…
बवंडर तन्हाई और दर्द के भी ना गिरा सके एक अश्क जिनमें बरसों बाद तेरी एक आवाज़ ने क्यों छलका दिए पैमाने उनमें …
अब मेरी दुआओं का असर, जम गया है I अब मेरे लिए, वक्त थम गया है I अब तुमसे मिलने का, कोई तय वक्त नहीँ…
यह ज़िंदगी दी है तुझे, कुछ कर आने के लिए मेरी इस दुनीया को, कुछ और सजाने के लिए यह ज़िंदगी दी है तुझे, जीने…
कहने को तो बस मेरे दिल ने , तेरे दिल पे कुछ भरोसे ही तो किए थे…
कर्मयोगी अपने कामुक सुखों को कर दमन , अपने गुस्से को दया मेँ कर बदल , अपने लालच को दान की राह कर चलन…
ए मालिक क्यों ना कुछ कमाल हो जाए , ऐसा अपनी दुनिया में ध्माल हो जाए , हर शैतान इंसानीयत…
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