Likhta hoon

जो दिल में उतर जाए ऐसे जज़्बात लिखता हूँ,
रातों की नींदें चुरा ले ऐसे ख्वाब लिखता हूँ।

हकीम नहीं हूँ मैं कोई साहब,
पर दिलो दिमाग पर असर कर जाए ऐसे अलफ़ाज़ लिखता हूँ।

शायर नहीं हूँ और ना ही हूँ कोई कवि
फिर भी कविताएं और शायरियाँ बेशुमार लिखता हूँ।

हूँ मैं एक नादान सा परिंदा
पर आसमान को चीर जाऊं ऐसा हौंसला लिखता हूँ।

नहीं हूँ कोई समंदर मैं फिर भी
दरिया में फसी हुयी कश्ती का किनारा लिखता हूँ।

बंज़र सी जमीन पर
मैं एक गुलिस्तां लिखता हूँ।

जो क़ाबिल ए रहम हो कर भी दुसरो का दर्द समझ उससे अपना हिस्सा बांटे
ऐसे शक्श को मैं इंसान लिखता हूँ।

अँधेरी पड़ी एक कुटिया में
उम्मीद की किरण को रोशनदान लिखता हूँ।

टूट कर जुड़ जाना और जुड़ कर टूट जाना
बस इसी रिश्तें को तो में प्यार लिखता हूँ।

जो दिल में उतर जाए ऐसे जज़्बात लिखता हूँ,
रातों की नींदें चुरा ले ऐसे ख्वाब लिखता हूँ।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close