Amar Verma
आधुनिकता के दौर में ।
February 2, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता
आधुनिकता के दौर में,
कितने आगे हम निकल चुके,
भवनों के; निर्माण के लिए
खेतों में अब प्लॉट कटे।
आधुनिकता के दौर में
कुएँ, पोखर सब सुख गए,
चहकते थे; मुंडेर पर पँक्षी
अब वो भी हमसे रूठ गए।
आधुनिकता के दौर में
मटके फूटे ,छिंके टूटे,
इस भागदौड़ के जीवन में
कुछ रिश्ते पीछे छूट गए।
बचपन में देखे जो गाड़ी
नजर नहीं अब आते हैं,
गाय के बछड़े भी तो
अब कत्लखाने में जाते हैं।
माना ये सब;आधुनिक है
तो पिछड़ा किसे बुलाते हैं,
है कैसी ये आधुनिकता
जो हमे समझ नहीं आती है।
– अमर वर्मा