Ankesh Agrahari
पर्यावरण
June 19, 2023 in मुक्तक
पर्यावरण पर मुक्तक
(1)
प्रकृति के साथ समझौता न करता आज का मानव
पेड़ पर्वत काट अतिशय मगन मन मनराज का मानव ।
कामना की असि प्रबल काटत स्वयं निज वंश लोभी
चांद तारों की प्रकृति को हुक्म देता बेताज का मानव।।
(2)
गिद्ध,कोकिल,चील गायब दूषित प्रकृति का आवरण
आवागमन भी मेघ का बाधित हुआ ऋतु संक्रमण।
दूषित पवन सहयोग करता सूरज तपन दुगुना बिखेरे
पागल मनुज दंभी न जगता किस तरह हो जागरण ।।
(3)
यह अनोखा जीव मानव चाहता निज वश प्रकृति को
अतिशय प्रकृति उपहार दोहन भूलता निज शक्ति को।
दस सुतों सम एक पादप आघात करता आदमी
दूषित किए परिवेश निज सुख शांति की उस शक्ति को।।